रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष :
- महिलाओं में ब्रेस्ट तो पुरुषों में माउथ कैंसर के ज्यादा संदेही मिले
- पुरूषों में गुटखा व तंबाकू का सेवन ओरल कैंसर की मुख्य वजह
कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी शहर में तेजी से पांव पसार रही है। वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन बालको द्वारा जिला अस्पताल में शनिवार को कैंसर जांच के लिए शिविर लगाया गया। खराब मौसम के कारणा सिर्फ 96 लोगों की जांच के लिए पहुंचे। शिविर में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 96 में से 38 लोगों में कैंसर के लक्षण पाए गए हैं।
यह आंकड़ा किसी को भी परेशान कर सकता है। क्योंकि जितनी जांच हुई उसमें लगभग आधे लोग कैंसर के मरीज होने के संदेही पाए गए हैं। इसके लिए जिम्मेदार कारक चाहे जो भी हो पर यह बात साफ है कि शहर में कैंसर तेजी से अपना पांव पसार रहा है। जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ.अनुरंजन टोप्पो ने बताया कि वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन बालको मेडिकल सेंटर के चिकित्सक इस जांच शिविर में बैठे थे। डॉक्टरों की टीम में कैंसर विशेषज्ञ डॉ.अश्विनी सचदेवा, डॉ.अशोक मेनोन, डॉ.प्रशांत, ममता नेताम, नर्सिंग स्टाफ किरण बाला, अरूण चौबे, प्रणय अग्रवाल ने शिविर में पहुंचे लोगों की जांच की गई। जांच में जितने भी संदेही मिले हैं उनका लैब में टैस्ट कराने के लिए स्लाइड बनाकर ले जाया गया है। डॉ.टोप्पो ने बताया कि जांच के दौरान महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, युवक व पुरुषों में ओरल व सर्वाइकल कैंसर के लक्षण मिले हैं। यदि जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव पाया जाता है तो यह गंभीर बात है।
गुटखा व तंबाकू का बढ़ता चलन
जशपुर छोटा शहर है जहां युवा से लेकर बुजुर्ग गुटखा व तंबाकू के सेवन में लिप्त है। शहर में प्रति सप्ताह 10 लाख से अधिक की गुटखा बिक्री होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां गुटखे की खपत कितनी है। गुटखा व तंबाकू का सेवन ओरल कैंसर की मुख्य वजह है। इसे लेकर कई बार जागरूकता अभियान भी चलाया गया, कई कार्रवाई भी की गई, पर ना तो गुटखे की बिक्री कम हुई है और ना ही इसके शौकीनों में कमी आई है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में 14 साल के बच्चे से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक गुटखे की गिरफ्त में हैं।
प्लास्टिक में गर्म खाद्य पदार्थ का चलन तेजी से बढ़ रहा
शहर के होटलों में प्लास्टिक में गर्म खाद्य पदार्थ देने का चलन कम नहीं हो रहा है। 2 अक्टूबर को शहर को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त करने के दिशा में काम हुआ और उस वक्त सिंगल यूज प्लास्टिक मार्केट से गायब हो गए थे। पर तीन महीने बाद ही फिर से प्लास्टिक ने अपनी जगह ले ली है। बीते कई दशक से सिंगल यूज प्लास्टिक में गर्म भोजन व चाय बेचे जा रहे हैं। चाय के ठेलों में प्लास्टिक के डिस्पोजल का चलन भी दशकों से चल रहा है। यह भी कैंसर की मुख्य वजह है।
कृषि उत्पादन में पेस्टिसाइड का बेहिसाब इस्तेमाल
शहर में बिकने के लिए पहुंच रही सब्जियां भी अब सही नहीं है। आसपास के ग्रामीण क्षेेत्रों में भी सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए पेस्टिसाइड्स का जमकर उपयोग किया जा रहा है। यहां दिक्कत यह है कि लोगों को खाद व बीज दुकानों से पेस्टिसाइड तो आसानी से मिल जा रहा है पर उसे कितनी मात्रा में उपयेाग में लाना है इसकी ट्रेनिंग देने की कोई व्यवस्था जिले में नहीं है। परिणाम स्वरूप किसान बेतहाशा इसका उपयोग कर रहे हैं।
पाठ इलाके का आलू और मिर्च विषाक्त पाई गई
जिले के पाठ इलाकों में आलू और मिर्च की व्यवसायिक खेती हो रही है। हर साल करोड़ों की आलू बाहर की मंडियों में बिकने के लिए जा रहा है। पाठ इलाकों के आलू में भारी मात्रा में पेस्टिसाइड्स डाला जा रहा है। आलम यह है कि पेस्टिसाइड्स के प्रभाव से खेती के सीजन में पाठ इलाकों में घूमने में लोगों को घुटन होती है। अधिक पेस्टिसाइड्स के कारण कई बार जशपुर की मिर्च को थाइलैंड में रिजेक्ट किया जा चुका है। यह सभी शहर की मंडियों में बिकते हैं।
अनियमित दिनचर्या व खानपान
जशपुर भले ही छोटा शहर है पर यहां भी शहरी कल्चर का प्रभाव ज्यादा है। आराम की बात करें तो यहां लोगों को शहर के लाेगाें से ज्यादा आराम मिल जाता है। शहर में लोग बस व ट्रेन में सफर करने के लिए कम से कम 2 से 3 किमी तो पैदल चल लिया करते हैं पर यहां ऐसी स्थिति नहीं है। हर प्रतिष्ठान व दफ्तर छोटे हैं जिसमें लोगों की वॉकिंग नहीं हो पाती है। प्रतिदिन एक्सरसाइज करने वालों की संख्या भी 5 प्रतिशत से कम है।