पुरानी बसों का किया इस्तेमाल
पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से महिलाओं में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है ऐसे में उल्का ने शहर की पुरानी बसों को महिला टॉयलेट में बदल दिया। उनके इस शुरुआत पर कुछ 1.3 करोड़ की लागत लगी है। फिलहाल उन्होंने शहर भर में 13बसें चलाई है, जिनका नाम ती रखा है।
एक बार प्रयोग पर अदा करने होते है 5 रुपए
यह बस साधारण पब्लिक टॉयलेट से काफी अलग और साफ सुथरे है। इसमें इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट के साथ वॉशबेसिन, बच्चों के डायपर बदलने का स्टैंड, ब्रेस्टफीडिंग की स्पेस उपलब्ध है। वहीं बसों में महिलाओं के लिए वाई-फाई की सुविधा भी उपलब्ध है। बस में बिजली से चलने वाले उपकरणों के लिए सोलर सिस्टम लगाया गया है ताकि खर्चे को कम किया जा सके। वहीं बसों पर होने पर खर्चे को पूरा करने के लिए कुछ पॉश एरिया की बसों पर 5 रुपए फीस रखी गई है। बस में हर समय एक अटेंडेट मजूद रहता है जो कि बस का सारा काम देखता है। वहीं महिलाओं को अधिक सुविधा प्रदान करते हुए बसों में छोटी सी कंटीन बनाई गई है जहां से खाना-पीने और अन्य छोटी-मोटी चीजों की खरीददारी की जा सकती है।
सेनेटरी इंडस्ट्री का है हिस्सा
उल्का और उनके पति राजीव पहले से ही सेनेटरी इंडस्ट्री का हिस्सा है। पुणे शहर में जब पब्लिक टॉयलेट बनाने की जगह नहीं थी तो वहां की कार्पोरेशन ने इस कपल की सहायता मांगी और उन्होंने मदद के लिए हां कर दी। इसके बाद 2016 में उन्होंने बसो को टॉयलेट में बदलने का काम शुरु किया और उन्हें यह आइडिया सेन फ्रांसिस्को के एनजीओ से मिला।
शुरु में आई कई दिक्कतें
2016 में जब पहली बार उल्का ने बस सर्विस शुरु की थी महिलाओं को लगता था कि पब्लिक टॉयलेट की तरह यह बस भी अंदर से काफी गंदी होगी। इसमें कई तरह सुविधाएं उपलब्ध नहीं होगी या मिलने वाली सुविधाओं के लिए अधिक पैसे मांगे जाएंगे। इसलिए महिलाओं में फैले इस भ्रम को तोड़ा गया। अब ज्यादातर बसों का रोज 200 से 300 बार इस्तेमाल होता है।
अन्य शहरों में भी शुरु होगी सर्विस
फिलहाल पुणे में 13 बसों के साथ यह सर्विस शुरु की गई है। इसके बाद मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, नागपुर जैसे शहरों में भी सरकार की मदद से यह सर्विस शुरु की जाएगी। उल्का का सपना है कि वह आने वाले 5 सालों में शहर के अंदर 1000 बसों की सर्विस शुरु कर