दुख़द है खुले में शौच करना


रिपोर्ट मनप्रीत सिंह


रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : यह वाकई दुःखद ही माना जायेगा कि आज़ादी के साढ़े छः दशकों के बाद भी सिवनी जिले और सिवनी शहर में नागरिक खुले में शौच करने को मजबूर हैं। मैला ढोने की प्रथा पर जैसे-तैसे लगाम लगी हैपर खुले में शौच पर अंकुश न लग पाना वाकई दुःखद ही माना जायेगा।


खुले में शौच से मुक्ति के लिये सरकारों के द्वारा तरह-तरह के अभियान चलाये गये और खुद ही अपनी पीठ थपथपायी गयी। जमीनी हालात देखने की फुर्सत शायद किसी को भी नहीं रही। जिले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के माध्यम से पहले शौचालयों के निर्माण के लिये अनुदान भी दिया गयाकिन्तु नतीज़ा सिफर ही निकला।


खुले में शौच करने से क्या हानि हैइसे रेखांकित करने के लिये सरकारों द्वारा समय-समय पर मीडिया के माध्यम से विज्ञापन भी चलाये जाते रहे हैं। वर्तमान में रूपहले पर्दे की अदाकारा विद्या बालान के द्वारा खुले में निस्तार की हानियों को गिनाया जा रहा है। जमीनी हालात देखकर यही कहा जा सकता है कि यह सब कुछ असरकारी नहीं है।


एक समय था जब निस्तार के लिये लोग सुबह सवेरे ही हाथ में पानी के बर्तन लेकर खुले में निकल जाया करते थे। सरकारों ने इस पर रोक लगाने के लिये अनुदान भी दिया। आज के हालात देखकर यही लगता है कि सरकारी अनुदान कागज़ों में तो सही-सही हैकिन्तु वह जरूरत मंदों के पास पहुँच नहीं सका है।


यह कुनैन की गोली के मानिंद कड़वी सच्चाई ही मानी जा सकती है। जमीनी स्तर पर किसी भी अधिकारी ने भौतिक सत्यापन करने की जहमत नहीं उठायी है। जिले में यह काम जिला पंचायत को करना चाहिये थाकिन्तु जिला पंचायत भी अन्य जरूरी कामों में ही अपने आप को उलझाये रखने का स्वांग करती नज़र आती है।


दो तीन सालों के अंतराल में घंसौर सहित जिले भर में हज़ारों की तादाद में शौचालय कागज़ों में बने पाये जाने की बात प्रकाश में आयी है। यह वाकई चिंता की बात मानी जा सकती है। अगर जिले में हज़ारों की तादाद में शौचालय कागज़ों पर बने हैं तो जब ये बन रहे थे और इनका सत्यापन हो रहा था तब आला अधिकारी क्या कर रहे थे!


जिला मुख्यालय की झुग्गी बस्तियों में आज भी पक्के शौचालय न होने के कारण महिलाओं को भी खुले में शौच के लिये जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मनचलोें और शोहदों द्वारा इस आवश्यक दैनिक नित्यकर्म के दौरान भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जाती है। महिलाएं खामोश रहतीं हैंक्योंकि यह नैसर्गिक आवश्यकता है और उन्हें इसके लिये रोज़ाना ही बाहर जाना है।


मुसीबत तो तब होती है जब किसी को दस्त लगेंअथवा पेट खराब हो। सुबह सवेरे तो अंधेरे में लोग नित्यकर्म के लिये बाहर जा सकते हैंपर दिन ऊगने के बाद उनके लिये यह एक परेशानी का ही सबब साबित होता है। इसके लिये शासन की इमदाद पर्याप्त नहीं मानी जा सकती है। आज आवश्यकता इस बात की है कि जिला प्रशासन के द्वारा इस योजना के मद में आयी राशि का पूरा उपयोग हुआ है अथवा नहींइसकी जाँच ईमानदारी से करवायी जायेताकि इस भयावह व्यवस्था पर अंकुश लग सके।


 


Popular posts
Incomes that are exempted under the proposed new tax regime
Image
प्रशासन को सूद नहीं - रायपुर शहर के श्मशानघाटों पर अब चिता की लकड़ी भी आम आदमी की पहुंच से बाहर - चिता की लकड़ी 800 क्विंटल, कंडा 500 सैकड़ा
Image
फेफड़ों को स्वस्थ और साफ रखने के लिए इन चीज़ों का रोजाना करें सेवन
Image
हास्य केंद्र योग के दसवें स्थापना वर्ष में शामिल हुए विधायक कुलदीप जुनेजा
Image
Ludo में पति को हराया, गुस्से में पत्नी की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी
Image
स्किन और हेयर प्रॉब्लम्स से बचने के लिए डाइट में लें विटामिन ई का करे प्रयोग
Image
ईद-उल-अजहा पर्व पर आज विधायक कुलदीप जुनेजा और छत्तीसगढ़ विशेष के सम्पादक मनप्रीत सिंह ने सभी प्रदेशवासियों को बधाई देते कहा कि ईद-उल-अजहा पर्व हमे भाईचारा एवं एकजुटता का संदेश देता है
Image
रायपुर , पूर्व विधायक श्री बैजनाथ चन्द्राकर ने करोना संक्रमण को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) के प्राधिकारी के साथ मुख्यमंत्री सहयता कोष मे 10.00 लाख की राशि दी
Image
शरीर को डिटॉक्स करने का एक बेहतरीन तरीका, तलवों पर एक खास तरह की मिट्टी लगाना,
Image
कोरोना के बढ़ते मामलों को देख ….कोविड अस्पतालों में ICU व ऑपरेशन थिएटर संचालन के निर्देश
Image