रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष :
- परिसीमन का असर जिन वार्डों पर, वहां थोड़ा बढ़ेगा गाइडलाइन रेट
- करीब पांच साल के बाद राजस्व का लक्ष्य पूरा होने जा रहा है
कलेक्टर गाइडलाइन में पिछले साल जमीन का सरकारी रेट 30 फीसदी घटाया गया था, वही घटा हुअा रेट इस बार भी लागू रहेगा। लेकिन वार्डों का परिसीमन होने की वजह से कई इलाके अब दूसरे वार्डों में चले गए हैं। ऐसे इलाकों में कलेक्टर गाइडलाइन रेट 5 से 10 फीसदी तक बढ़ाया जा रहा है। इसमें बड़ा इलाका शहर के अाउटर का है, जहां विकास तेज है। इससे राजधानी के 70 में से 30 वार्ड प्रभावित होंगे, अर्थात शेष 40 वार्डों में गाइडलाइन रेट बेअसर रहेगा।
जिला प्रशासन ने जमीन की सरकारी कीमत तय करने के लिए प्रस्ताव राज्य मूल्यांकन समिति को भेज दिया है। आमतौर पर जिला मूल्यांकन समिति की सभी सिफारिशों को राज्य मूल्यांकन समिति जस का तस लागू कर देती है। इसलिए तय माना जा रहा है कि इस साल जमीन की कीमतें बढ़ना तय है। करीब पांच साल के बाद ऐसा होगा जब जमीन की सरकारी कीमत फिर बढ़ाई जाएगी। अभी तक हर साल 5 से 10 वार्डों में ही मामूली बढ़ोतरी की जाती थी, लेकिन इस साल यह बढ़ोतरी दोगुना से ज्यादा वार्डों में होगी।
रेट कम इसलिए रजिस्ट्री ज्यादा
करीब पांच साल के बाद ऐसा हो रहा है जब रायपुर को रजिस्ट्री के लिए दिया गया राजस्व का लक्ष्य पूरा हो रहा है, अर्थात रजिस्ट्री ज्यादा संख्या में हुई हैं। इस साल राज्य सरकार ने रायपुर जिले में 485 करोड़ की वसूली का टारगेट रखा था। इसमें अभी तक 80 फीसदी यानी 388 करोड़ से ज्यादा की वसूली हो गई है। वित्तीय साल का आखिरी महीना होने की वजह से अफसरों का दावा है इस महीने सबसे ज्यादा की रजिस्ट्री होगी। इसलिए राजस्व वसूली 425 करोड़ से ज्यादा होना तय है।
वार्डों की सीमा बदलने से नए सिरे से लैंडमार्किंग
नगर निगम चुनाव के लिए 70 वार्डों का नए सिरे से परिसीमन किया गया था। वार्डों की सीमाएं बदलने की वजह से कलेक्टर गाइडलाइन भी नए सिरे से बनाई गई है। लगभग सभी वार्डों की सीमा बदलने की वजह से ही इस साल ज्यादा वार्डों में जमीन की कीमत बढ़ गई है। करीब दो महीने की माथापच्ची के बाद कलेक्टर गाइडलाइन में दर्ज होने वाले लैंडमार्क को नए सिरे से तय किया गया है। सीमाएं बदलने की वजह से जमीन के क्षेत्र वाले वार्ड बदल गए। इस वजह से भी जमीन की सरकारी कीमत बढ़ रही है। जमीन की सरकारी कीमत लगातार दो साल और बढ़ती है तो जमीन की कीमतें फिर से वहीं हो जाएंगी जो 30 फीसदी की छूट देने से पहले थी। इस साल जमीन की कीमत बढ़ने की वजह से भी राज्य सरकार ने इस छूट को 2020-21 के लिए जारी रखा है।
आरआई-पटवारियों से भी मांगी थी सर्वे रिपोर्ट
कलेक्टर गाइडलाइन तय करने के लिए प्रशासन ने शहर के सभी हल्कों के राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों से भी सर्वे रिपोर्ट मांगी थी। इसमें पूछा गया था कि शहर के किन इलाकों में जमीन की डिमांड ज्यादा है। किस इलाके में जमीन की खरीदी-बिक्री अधिक हो रही है। आने वाले एक साल में किन वार्डों में निजी और सरकारी प्रोजेक्ट लांच हो रहे हैं। किस क्षेत्र में नई सड़कें बन रही हैं। इस रिपोर्ट के आधार में भी कलेक्टर गाइडलाइन नए सिरे से तय की गई। हालांकि शहर के बड़े बिल्डरों और कई संगठनों का आरोप है कि फील्ड रिपोर्टिंग के बजाय पूछताछ के आधार पर यह सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली जाती है। तहसील के अफसर इस रिपोर्ट की जमीनी हकीकत तक चेक नहीं करते हैं। आरआई और पटवारियों की रिपोर्ट को जस के तस कलेक्टर ऑफिस भेज दी जाती है। 1 अप्रैल से लागू होने वाली नई गाइडलाइन को इस बार पहले ही सॉफ्टवेयर में अपलोड कर दिया जाएगा। ताकि वित्तीय साल के पहले दिन से ही नई दरों पर जमीन की रजिस्ट्री ऑनलाइन हो सके। पिछली बार विधानसभा चुनाव की आचार संहिता और 30 फीसदी छूट की वजह से नई कीमतें बेहद देर से सॉफ्टवेयर में अपलोड हो पाई थी।