छत्तीसगढ़ विशेष की विशेष रिपोर्ट, जानें शालिनी अग्निहोत्री की कहानी - हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाँव की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री ने 1st एटेम्पट में UPSC क्लियर कर के बनीं IPS


 Report manpreet singh 


RAIPUR chhattisgarh VISHESH : on behalf of chhattisgarh, chhattisgarh vishesh salutes shalini agnihotri S. P kullu (h. P) अपने तय किये गए लक्ष्य को पाने के लिए यदि आप आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से परिश्रम करें तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होती है। ऐसे ही कुछ कर दिखाया हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाँव की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री ने। IPS बनने का सपना उन्होंने बचपन में ही देख लिया था और उसे पूरा करने के लिए उनके माता पिता ने उन्हें शिक्षित कर काबिल बनाया। जहाँ लड़कियों की कम उम्र में ही शादी कर दी जाती है वहां शालिनी के माता पिता ने उन्हें हमेशा ही पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। आइये जानते हैं कुल्लू जिले की SP शालिनी अग्निहोत्री की UPSC सिविल सेवा 2011 परीक्षा क्लियर करने की कहानी।



शालिनी के पिता हैं बस कंडक्टर


14 जनवरी, 1989 को हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के थाथल गाँव में जन्मी शालिनी को अपने माता-पिता रमेश और शुभलता अग्निहोत्री से जीवन के हर कदम पर अपार समर्थन मिला। उसके पिता एक बस कंडक्टर हैं और उनकी माँ एक गृहिणी हैं। शालिनी हमेशा बहुत मेहनती छात्रा रही और अपनी सभी परीक्षाओं में बहुत अच्छा स्कोर करती थी। शालिनी बताती हैं की उनके माता पिता सुशिक्षित नहीं थे इसके बावजूद भी उन्होंने शालिनी और उनके भाई बहन को उच्च शिक्षा प्राप्त कराई और हमेशा जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। बता दें कि शालिनी की बड़ी बहन एक डेंटल सर्जन हैं और उनके छोटे भाई भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत हैं।



बस यात्रा में हुई एक घटना ने दिया IPS बनने का सपना


 अपनी माँ के साथ बस में यात्रा करते समय उनके बगल में एक व्यक्ति सीट पर सबसे आगे खड़ा था जहाँ वह और उनकी माँ बैठे थे। उस व्यक्ति का हाथ शालिनी की सीट के हैंडल पर था जिससे उन्हें काफी असुविधा हो रही थी। अपने हाथ को हटाने के बार-बार अनुरोध के बावजूद उस आदमी ने कुछ नहीं किया। उन्होंने अंततः शालिनी की माँ से पूछा कि क्या वह डीसी हैं, जिनके निर्देशों का उसे पालन करना चाहिए। उस समय शालिनी को यह तो नहीं पता था कि डीसी कौन है या क्या है, लेकिन उन्होंने यह समझ लिया था कि डीसी एक शक्तिशाली व्यक्ति है जिसके निर्देशों का पालन सभी करते हैं। उन्होंने उसी पल यह फैसला किया कि वह बड़ी हो कर एक DC ही बनेंगी।



माता पिता ने दी हर असफलता में प्रेरणा


 शालिनी जिस समाज से ताल्लुक रखती हैं वहां लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने का चलन नहीं है। उनकी किसी भी कज़न को ये अवसर नहीं दिया गया था, और उनमें से अधिकांश का विवाह कम उम्र में ही हो गया था। परन्तु शालिनी के माता पिता ने हमेशा ही उन्हें जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।


जब उन्होंने UPSC की तैयारी करने के बारे में सोचा तो इसका जिक्र किसी से नहीं किया था। वो जानती थी ये देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और ऐसे बहुत से लोग हैं जो कई वर्षों की कठिन मेहनत के बाद भी इस परीक्षा को पास नही कर पाते हैं। मगर यहां पर शलिनी के दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास ने उन्हे बहुत हिम्मत दी और मई 2011 में उन्होंने UPSC की परीक्षा दी जिसे उन्होंने पहले ही एटेम्पट में पास कर 285वीं रैंक हासिल की।



IPS की ट्रेनिंग के दौरान हुई कई पुरुस्कारों से सम्मानित


 शालिनी के पास पुरस्कार और प्रशंसा की एक लंबी सूची है। उन्हें IPS के 65 वें बैच का सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंडर ट्रेनी चुना गया था। इसके अलावा उन्होंने सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी होने के लिए प्रधान मंत्री बैटन और गृह मंत्रालय की रिवाल्वर भी जीती। उन्हें सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंडर महिला अधिकारी ट्रेनी , बाहरी विषयों में सर्वश्रेष्ठ महिला अधिकारी ट्रेनी , जांच के लिए एक ट्रॉफी और ‘सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता’ पर सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन के लिए एक ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था।शालिनी अब हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में तैनात हैं।


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