भोरमदेव अभ्यारण में मिली तितलियों की दुर्लभ प्रजाति स्पॉटेड एंगल, गार्डन के लिए शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव


Report manpreet singh 


Raipur chhattisgarh VISHESH : कवर्धा  , जैविक विविधता, वन संपदा, प्रचुर लघु वनोपज, असंख्य आयुर्वेद जड़ी बुटियों के लिए छत्तीसगढ़ की मैकल पर्वत माला श्रृंखला सुप्रसिद्ध है। इस पर्वत श्रृंखला का भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण अब तितलियों की विभिन्न दुर्लभ और विलुप्त प्रजातियों के बसेरा के लिए देश मे मशहूर होने जा रहा है। अभ्यारण्य में खोज के दौरान भारत में विलुप्त हो रही तितलियों की दुर्लभ प्रजाति स्पॉटेड एंगल को देखा गया। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में किए गए सर्वे रिपोर्ट में भी स्पॉटेड एंगल तितली का जिक्र रिकॉर्ड में नहीं है। देवेंद्र गोंड, रेंजर भोरमदेव अभ्यारण्य कवर्धा ने कहा है कि, प्रदेश में कही भी तितलियों को सहेजने गार्डन नहीं है। अभ्यारण में दुर्लभ तितली है, जिन्हें सहेजने फूलों का गार्डन बनाया जाएगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।


छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के बाद भोरमदेव अभ्यारण में देखी गई तितलियों की यह दुर्लभ प्रजातियां बस्तर में रिकॉर्डेड "एंगल पेरोट" और "ओरिएंटल चेस्टनट एंगल" तितलियों को बस्तर के अलावा भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में देखा गया है। भारत की दूसरे नंबर की आकार में सबसे बड़ी तितली "ब्लू मॉर्मोन" को भी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में वन अधिकारियों और वन्य प्राणी में रूचि रखने वाली इस टीम के ने वन क्षेत्र में भ्रमण के दौरान पाया है। वन अधिकारियों की टीम ने तितली की दुर्लभ प्रजाति "स्पॉटेड एंगल" की खोज की है। इसके लिए अब फूलों का गार्डन बनाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है।


भोरमदेव अभ्यारण में लगभग 90 से अधिक प्रजाति की तितलियों का बसेरा :मैकल पर्वत श्रृंखला के मध्य 352 वर्ग किलोमीटर में फैले भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण अनेक वन्यजीवों, पक्षियों, सरीसृपों और दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है। यह अभ्यारण में एक समृद्ध जैव विविधता का निर्माण करते हैं। विभिन्न वन्य प्राणियों और अनगिनत दुर्लभ वनस्पतियों के साथ भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण रंग बिरंगी तितलियों का भी प्राकृतिक आवास है। 


अभ्यारण में लगभग 90 से अधिक तितलियों की प्रजाति :


इस अभ्यारण में 90 से अधिक प्रजातियों की तितलियों को देखा जा सकता है। इनमें से ओरिएंटल चेस्टनट एंजल, एंगेल्ड पैरोट, कॉमन गल, कॉमन मॉर्मोन, चॉकलेट पेंसी, स्टाफ सार्जेंट, स्पॉटेड एंगल, कॉमन कैस्टर, कॉमन लेपर्ड, कॉमन वंडर्र, कॉमन जे, ब्लू मार्मोन, डेंगी बुश ब्राउन, ग्रेप पेनसी प्रमुख हैं। इन को संरक्षित करके ना सिर्फ भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण की सुंदरता को बढ़ाया जा सकता है, अपितु इनका प्रयोग शोधार्थियों, वन्य प्रेमियों तथा जैव विविधता के अध्ययन में भी किया जा सकता है।


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