Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : पंजाब में डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति दिलचस्प हो गई है। अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के केंद्र सरकार से इस्तीफा देने के बाद पंजाब की राजनीति में बड़े उलटफेर का अंदाजा लगाया जा रहा है। पिछले कई महीनों से चुप्पी साध कर बैठे रहे पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने किसानों के मुद्दों का समर्थन किया है। महीनों बाद उन्होंने सार्वजनिक बयान दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे अब फिर सक्रिय होंगे। उन्होंने भले अभी किसानों के मुद्दे का समर्थन किया है, जो एक तरह से भाजपा का विरोध है पर आने वाले दिनों में भाजपा से उनकी नजदीकी बढ़ सकती है। सरकार से हरसिमरत कौर बादल के बाद अगर अकाली दल एनडीए से अलग होती है तो सिद्धू की भाजपा में वापसी हो सकती है। ध्यान रहे भाजपा लंबे समय से पंजाब में अकेले राजनीति करने के अवसर तलाशती रही है। अरुण जेटली के जीवित रहते यह संभव नहीं हो पाया क्योंकि वे भाजपा और अकाली दल के बीच पुल बने रहे। उनको नहीं होने के बाद अकाली और भाजपा राजनीति में तनाव बढ़ गया है। दूसरी ओर सिद्धू का विवाद अकाली दल से है और उसमें भी हरसिमरत कौर बादल के भाई विक्रमजीत मजीठिया के साथ है। सिद्धू अभी कांग्रेस में अलग थलग पड़े हैं। कैप्टेन अमरिंदर सिंह के करीबी उनको पार्टी से बाहर धकेलने में लगे हैं। ऐसे में भाजपा इस आपदा को अवसर बना सकती है। सिद्धू को पार्टी में शामिल कर उनके चेहरे पर चुनाव लड़ना भाजपा का मास्टरस्ट्रोक हो सकता है। भाजपा से अलग होकर अकाली भी कट्टरपंथी सिख राजनीति करें तो हैरानी नहीं होगी। अगर राजनीति यह टर्न लेती है तो आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।