दीपिका पादुकोण की व्हाट्सऐप चैट बाहर कैसे आई होगी ?


Report manpreet singh 

RAIPUR chhattisgarh VISHESH : अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच अब बॉलीवुड में ड्रग्स की जाँच तक जा पहुँची है और इस पूरे प्रकरण में केस से संबंधित लोगों की व्हाट्सऐप चैट भी मीडिया में लीक हुई. हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की एक व्हाट्सऐप चैट मीडिया में दिखाई जा रही है, जहाँ कथित तौर पर वे किसी से ड्रग्स माँगते दिख रही हैं. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि ये चैट कुछ साल पुरानी है जो डिलीट हो चुकी थी, लेकिन जाँच एजेंसियों ने उसे हासिल कर लिया. पर ये संभव कैसे हुआ? क्या ये जानकारी ख़ुद व्हाट्सऐप ने जाँच एजेंसियों से शेयर की या किसी और तरीक़े से ये चैट मीडिया में पहुँची? और व्हाट्सऐप प्राइवेसी को लेकर जो दावे करता है, क्या उनपर ख़रा उतरता है? क्या व्हाट्सऐप मैसेज स्टोर करता है? व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक़, कंपनी सामान्य तौर पर यूज़र के मैसेज नहीं रखती. एक बार अगर यूज़र का मैसेज डिलीवर हो गया, तो वो उनके सर्वर से डिलीट हो जाता है. अगर कोई लोकप्रिय वीडियो या फ़ोटो बहुत सारे यूज़र शेयर कर रहे हैं तो कंपनी अपने सर्वर में उसे लंबे वक़्त तक रख सकती है. यूज़र के मैसेज एनक्रिप्टेड होते हैं जिसका मतलब है कि एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक मैसेज पहुँचने के बीच व्हाट्सऐप या कोई थर्ड पार्टी उसे नहीं पढ़ सकती. यूज़र की परफ़ॉर्मेंस संबंधित जानकारी भी व्हाट्सऐप इकट्ठी करता है. जैसे यूज़र व्हाट्सऐप को कैसे इस्तेमाल करता है, कैसे दूसरों से संवाद करता है. व्हाट्सऐप आपकी जानकारी एकत्र कर सकता है, इस्तेमाल कर सकता है, उसे स्टोर कर सकता है और शेयर भी कर सकता है, अगर उसे लगता है कि ये इन मामलों में ज़रूरी है: 1) किसी क़ानूनी प्रक्रिया के लिए, सरकार की अपील पर. 2) अपने नियमों को लागू करने के लिए या किसी और नियम या नीति को लागू करने के लिए, किसी उल्लंघन की जाँच के लिए. 3) किसी धोखाधड़ी या ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि का पता लगाने के लिए, जाँच के लिए, बचाव के लिए, सुरक्षा और तकनीकी वजह से. 4) अपने यूज़र्स, व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक की कंपनियों के अधिकारों और संपत्ति की रक्षा के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए. तो व्हाट्सऐप कहता है कि वो सर्विस देने के सामान्य क्रम में तो मैसेज स्टोर नहीं करता, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वो ऐसा कर सकता है और उसे शेयर भी कर सकता है. कैसे सामने आ रही हैं व्हाट्सऐप चैट? बॉलीवुड के ड्रग्स मामले में चैट लीक होने के तीन पहलू हैं: - पहला, ये लीक कैसे हो रही हैं? - दूसरा, लीक होना क़ानूनन सही है या नहीं. - तीसरा, व्हाट्सऐप की जो सुरक्षा प्रणाली है वो ग्राहकों के लिए ठीक है या नहीं? व्हाट्सऐप का एनक्रिप्शन सिर्फ़ एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक है, यानी एक फ़ोन से दूसरे फ़ोन पर व्हाट्सऐप के ज़रिए भेजा जाने वाला कोई मैसेज व्हाट्सऐप या कोई तीसरी सरकारी या ग़ैर-सरकारी पार्टी नहीं पढ़ सकती. लेकिन उसके बाद मैसेज दोनों मोबाइल डिवाइस में रहता है. वहाँ से डिलीट होने के बाद भी मैसेज को निकाला जा सकता है. कैसे? कई बार व्हाट्सऐप में यूज़र ने आर्काइव का विकल्प रखा होता है जिससे उनकी चैट गूगल ड्राइव या फ़ोन की किसी ड्राइव में स्टोर हो जाती है. उन्होंने चैट बैकअप का विकल्प भी रखा होता है जिससे वो चैट फ़ोन में मौजूद होती है. साइबर एक्सपर्ट का कहना हैं कि फ़िलहाल इस ड्रग्स मामले में कई गिरफ्तारियाँ हो रही हैं, पूछताछ हो रही है. अब तक तो यही लग रहा है कि इन्हीं लोगों के मोबाइल डिवाइस से चैट्स के स्क्रीनशॉट लिये गए हैं या उन्हें फ़ोन की ड्राइव से निकाला गया है. मार्क ज़करबर्ग फ़ेसबुक के संस्थापक हैं और अब व्हाट्सऐप भी फ़ेसबुक की कंपनी है क्या जाँच एजेंसियों से जानकारी साझा की जा सकती है? साइबर क़ानून एक्सपर्ट ने बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि व्हाट्सऐप अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के उलट मैसेज स्टोर करता है. ज़्यादातर जो लीक्स होते हैं, वो व्हाट्सऐप की सुरक्षा में सेंध से नहीं बल्कि थर्ड पार्टी के क़ानूनी या गैर-क़ानूनी तरीक़े से जानकारी हासिल करने से होते हैं. जाँच एजेंसियां व्हाट्सऐप से भी ये चैट ले सकती हैं लेकिन उसकी एक प्रक्रिया है और जाँच एजेंसियां डेटा लेने के लिए अधिकृत भी हैं. साथ ही डेटा कैसे उन तक पहुँचा, ये उन्हें चार्जशीट में बताना भी पड़ेगा. जहाँ तक व्हाट्सऐप की पॉलिसी की बात है तो एक जगह लिखा है कि वे किसी जाँच एजेंसी की अपील पर किसी व्यक्ति के मैसेज स्टोर भी कर सकते हैं और शेयर भी कर सकते हैं, अगर तब तक यूज़र ने मैसेज उनकी सर्विस से डिलीट नहीं किये हैं तो. जाँच एजेंसियों पर लीक को लेकर क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है? इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 का सेक्शन-72 कहता है कि इस क़ानून के तहत जिस व्यक्ति को किसी का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, क़िताब, जानकारी, दस्तावेज़ रखने की शक्ति दी गई है और वो उसकी सहमति के बिना किसी और को ये सब दे देता है तो उसे दो साल तक की सज़ा या एक लाख रूपये जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं. ये जो सारी चैट मीडिया में प्रसारित की जा रही हैं, ये उस व्यक्ति की निजता का उल्लंघन तो हैं ही, साथ ही दूसरे लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है क्योंकि एक व्यक्ति के मोबाइल में अन्य कई लोगों की सूचनाएं शामिल होती हैं. सुप्रीम कोर्ट और अनेक हाई कोर्टों ने बोला है कि जाँच एजेंसियां जाँच के दौरान महत्वपूर्ण सबूतों को या जाँच के जो पड़ाव हैं, उनको सार्वजनिक नहीं कर सकतीं, क्योंकि ऐसा करने से केस भी कमज़ोर होता है और ये भारतीय दंड संहिता के तहत ग़लत है.

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