क्या थी काला पानी की सजा - भारत में आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ और आजादी की मांग करने वालों को अंग्रेज सरकार काला पानी की सजा देती थी


Report manpreet singh 

RAIPUR chhattisgarh VISHESH : भारत में आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ और आजादी की मांग करने वालों को अंग्रेज सरकार काला पानी की सजा देती थी। इन्हें अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी सेल्युलर जेल में रखा जाता था। मूलरूप यह जेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी, जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी और सागर से भी हजार किलोमीटर दुर्गम मार्ग पड़ता था। इसलिए यह काला पानी के नाम से कुख्यात थी।

अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी। इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर आज भी वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां अब एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे। चूंकि इस जेल की अन्दरूनी बनावट सेल (कोटरी) जैसी है, इसीलिए इसे सेल्यूलर जेल कहा गया है। 

भारत की आजादी के लिए लड़ी गई 1857 की पहली रक्तरंजित क्रान्ति और सशस्त्र संघर्ष के बाद भारतीयों पर अंग्रेजी सरकार का दमनचक्र और तेज हो गया था। देश की जनता पर बर्बरता से जुल्म ढाए जाने लगे। इससे क्रान्तिकारियों में आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी। सम्पूर्ण भारत में जबर्दस्त जन-आन्दोलन शुरू हो गया। वीर सावरकर के नेतृत्व में एक सशक्त क्रांतिकारी दल का गठन किया गया। इस दल द्वारा अनेक अंग्रेज और उनके देशी पिट्ठुओं की हत्याएं की गई। गोरी सरकार इससे बौखला उठी और तुरन्त हरकत में आई और इनके दमन के लिए पूरे देश में पुलिस द्वारा मुखबिर छोड़े गए। उन्हीं की सहायता से अनेक क्रांतिकारी पकड़े गए और उन पर मुकदमे चले। सैकड़ों क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी गई और हजारों को आजीवन कारावास। आजीवन कारावाज की सजा पाए क्रांतिकारियों को बंगाल की खाड़ी का अथाह समुद्र, जो यहां बिल्कुल काला नजर आता है, के बीच में बने टापुओं में छोड़ा जाता था। यहीं बनी थीं वो कालकोठरियां जिनमें क्रांतिकारियों को दिल दहला देने वाली अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं। यही थी कालापानी की सजा।

विनायक दामोदर सावरकर, उनके भाई गणेश दामोदर सावरकर, ननी गोपाल मुखर्जी, नन्द कुमार, पुनीत दास, त्रिलोक्य महाराज, अनातासिंह, भाई महावीरसिंह, बाबा पृथ्वीसिंह आजाद, भाई परमानन्द आदि जैसे करिश्माई व्यक्तित्व और काकोरी कांड के अभियुक्त योगेशचन्द्र चटर्जी, गोविन्द चरणकर, मुकुन्द लाल, विष्णु सरण दुबलिश, सुरेश चन्द्र भट्टाचार्य तथा उनके जैसे कई अनाम क्रांतिकारियों की गाथाओं से भरा पड़ा है यहां का इतिहास। ये भारत मां के वीर सपूत 1910 से लेकर 1945 के बीच यहां कैद थे। 

11 जनवरी, 1979 का दिन स्वाधीनता सेनानियों के लिए यादगार दिन था, क्योंकि इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री, मोरारजी देसाई ने अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर की उस कुख्यात सेल्यूलर जेल को राष्टï्रीय स्मारक घोषित किया। तब से यह स्वतंत्रता सैनानियों का पवित्र तीर्थ स्थल कहलाता है।  

Popular posts
RAIPUR SPECIAL : दिनाक 08 मार्च को " मयूर वाटिका भू- कल्याण समिति " का सेजबहार में प्लाट स्थल पर बैठक का आयोजन किया गया
Image
विशेषज्ञों का दावा-प्रदूषण में कमी होने से स्कूली बच्चों की बढ़ सकती है याददाश्त
Image
राफेल से भारत मे नये युग की शुरूआत ---- फ्रांस से भारत के अम्बाला में 5 राफेल लड़ाकू विमान हुए लैंड.
Image
स्किन और हेयर प्रॉब्लम्स से बचने के लिए डाइट में लें विटामिन ई का करे प्रयोग
Image
कोविड-19 महामारी का अंत अभी काफी दूर है - विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख
Image
राजधानी रायपुर के जिला अस्पताल में रात को 03 बच्चों ने दम तोड़ा, वहीं चश्मदीद (बेमेतरा से आए बच्चों के परिजन) ने 07 मौतों का दावा किया - बिना ऑक्सीजन रेफर करने का आरोप, पुलिस के दखल से ढाई घंटे बाद शांत हुए लोग
Image
प्रदेश में तीन स्पेशल ट्रेनें शुक्रवार से होंगी शुरू , देखे
Image
कोविशील्ड वैक्सीन को WHO देगा प्रमाणपत्र, कि जमकर तारीफ
Image
स्कूलों की फीस तय करने बनाई जाएगी अभिभावकों की समिति, विधेयक हुवा विधानसभा में पारित, मनमानी पर लगेगा विराम
Image
छत्तीसगढ़ में 6 अगस्त तक बढ़ाई गई लॉकडाउन की तारीख, कैबिनेट की बैठक में लिया गया फ़ैसला
Image