रिपोर्ट मनप्रीत सिंह
रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : दिल्ली के चुनावी नतीजे और केजरीवाल की पुन: ताजपोशी ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई सरकार काम करे तो जनता किसी भी भावनात्मक उबाल में आकर उसे नजरअंदाज नहीं करती। अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में काम तो किया है, नतीजों से यह भी पता चलता है कि राष्ट्रीय या राजनीतिक मुद्दों को भुनाकर ही आप वोट हासिल नहीं कर सकते। पिछले कार्यकाल का सफर आप पार्टी के लिए काफी उलझन भरा रहा इसलिए कि वरिष्ठ संस्थापक सदस्य वकील प्रशांत भूषण, राजनीतिक विशलेषक यादव, कवि कुमार विश्वास, पत्रकार आशुतोष, अलका लांबा जैसे लोगों ने पार्टी छोड़ दी। कई अन्य मामलों में भी पार्टी की किरकिरी हुई। भाजपा ने पूरे दमखम से चुनाव लड़ा था। इस बीच वह शाहीनबाग के प्रदर्शन को लेकर भी हमलावर रही। कांग्रेस इस बार दिल्ली में चुनाव लड़ते दिखाई नहीं दी। हालांकि कांग्रेस छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान व पंजाब के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर जीते हैं लेकिन दिल्ली में वे मैदान से बाहर हो गए। चुनाव को शाहीनबाग के बहाने हिंदू-मुस्लिम बनाने की कोशिश भी हुई हालांकि यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है लेकिन राजनीतिक पार्टियों का तो अंतिम लक्ष्य ही होता है चुनाव जीतना चाहे कैसे भी हो। भाजपा के लिए दिल्ली चुनाव परिणाम काफी झटका देने वाला हैं इसलिए कि अलग-अलग राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में लगातार पराजय का सामना करना पड़ रहा है। हार का सिलसिला बता रहा है कि जनता को काम पसंद हैं..।