बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया 14 दिनों के अंदर PM CARES फंड की जानकारी देने का आदेश


Report manpreet singh 


Raipur chhattisgarh VISHESH :कोरोना वायरस के चलते पीएम नरेंद्र मोदी ने फंड की घोषणा की थी. इसका नाम है PM CARES फंड. इसके हिसाब-किताब और काम को लेकर काफी समय से हल्ला मचा हुआ है. इसी कड़ी में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने PM CARES फंड को लेकर नोटिस जारी किया है. नोटिस केंद्र सरकार और फंड के ट्रस्टियों को भेजा गया है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, कोर्ट ने पूछा है कि फंड में कितने पैसे जमा हुए और कितने खर्च किए गए हैं. कोर्ट ने यह आदेश नागपुर के वकील अरविंद वाघमारे की याचिका पर दिया.


याचिका में क्या कहा गया : याचिका में वकील अरविंद वाघमारे ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी PM CARES फंड के लिए बने ट्रस्ट के चेयरपर्सन हैं. गृह, वित्त और रक्षा मंत्री इसके सदस्य हैं. यह फंड कोरोना वायरस के चलते हुई समस्या से निपटने के लिए बनाया गया. इसके जरिए लोगों की मदद करने की बात कही गई थी. फंड बनाते समय कहा गया था कि तीन प्रतिष्ठित लोगों को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के लिए नॉमिनेट किया जाएगा. लेकिन अभी तक इनकी नियुक्ति नहीं हुई. लेकिन फिर भी करोड़ों रुपये का डोनेशन लिया गया.वकील वाघमारे ने कहा कि इस फंड में जितना भी पैसा जमा हुआ है, उसकी जानकारी सरकार वेबसाइट पर दे. जिससे कि आम लोग इसे देख सकें. साथ ही PM CARES फंड के हिसाब-किताब की जांच भी की जाए. जांच का जिम्मा भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी CAG को दिया जाए. साथ ही फंड के लिए बने ट्रस्ट में दो सदस्य विपक्षी दलों से भी होने चाहिए.


सरकार की दलील : याचिका पर सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने भी जवाब दिया. सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह पेश हुए. उन्होंने फंड की जांच कराने का विरोध किया. साथ ही याचिका को खारिज करने की अपील भी की. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की याचिका को खारिज कर दिया था.


कोर्ट ने नहीं मानी सरकार की बात : जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस एएस किलोर की बैंच ने सरकार की दलील को नहीं माना. और आदेश दिया कि सरकार दो सप्ताह के अंदर याचिका के जवाब में एफिडेविट दाखिल करे. इसमें सरकार अपना पक्ष लिख सकती है.


 


RTI में भी नहीं दी थी PM-CARES की जानकारी


PM-CARES फंड को लेकर सरकार ने पिछले दिनों आरटीआई के तहत सूचना देने से भी इनकार किया था. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि RTI ऐक्ट, 2005 के तहत ये फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.


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