Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : प्रदेश का इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय इन दिनों प्रदेश के नेताओं और अफसरों के लिए प्रयोगशाला बन चुका है। मंत्रालय महानदी भवन के सामान्य प्रशासन विभाग के जारी आदेश को देख तो ऐसा ही लगाता है। दरअसल राष्ट्रीय बागवानी मिशन की योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही के आरोप से घिरे संचालक उद्यानिकी डा. प्रभाकर सिंह को इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय का रजिस्ट्रार बनाए जाने के आदेश मंत्रालय से जारी किए गए हैं।
मंत्रालय के आदेश में ही विरोधाभाष
आपको बाद दें कि छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रालय के जारी आदेश में ही विरोधाभाष नजर आ रहा है। अफसरों में कोई अंडरस्टेंडिंग हो ऐसा भी नजर नहीं आता, ऐसे में सरकार कैसे चल रही है इस पर भी सवाल खड़ा होता हैl
दरअसल कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्राद्योगिकी विभाग ने छत्तीसगढ़ में किसानों की बेहतरी के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत उद्यानिकी कृषकों को दिए जाने जाने वाले फलदार पौधों के वितरण में पूरा काम कागजों पर चलाए जाने की शिकायत पर तत्कालीन संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी डॉ. प्रभाकर सिंह को किसानों को सामग्री का वितरण किए बिना सरकारी खजाने से राशि आहरण किए जाने के मामले में दोषी मानते हुए उनके 5 वेतन वृद्वि पर रोक लगा दी है। साथ ही मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
मामले की जांच अभी चल ही रही है इधर सामान्य प्रशासन विभाग ने संचालक उद्यानिकी डॉ. प्रभाकर सिंह को इंदिरा गांधी कृषि विशवविद्यालय के बनाए जाने के आदेश जारी कर दिए। फिलहाल प्रदेश के सबसे बड़े कृषि विशवविद्यालय में अफसरशाही और जुगाड़ का खेल उन योजनाओं और रिसर्च का बेड़ागर्क कर सकता है जो विश्वविद्यालय में चलाए जा रहे हैं।