ऑनलाइन स्कूल व्यपार के नाम पर अब नही होगी पालकों से फीस की ठगी


Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : रायपुर, विश्वव्यापी कोरोना महामारी के इस संकट की घड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार जनता को तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया करवा रही है ताकि उन्हें किसी प्रकार से कोई भी परेशानी ना हो।चाहे बात राशन की हो या शिक्षा की दोनों ही सूरत में सरकार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है

यही कारण है कि कोरोना काल मे पालकों को राहत पहुंचाने के लिए बुपेश सरकार ने फीस नियामक आयोग का गठन किया जिसके अंतर्गत कोई भी निजी स्कूल के संचालक पालकों पर फीस जमा करने का दबाव नहीं बना सकते और ना ही फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को पढ़ाने से इंकार कर सकते हैं।

ऐसा करके सरकार ने मानवता का एक परिचय तो जरूर दिया लेकिन वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों के संचालक बार-बार सरकार के इस नियमों को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं पालकों को फीस नहीं जमा करने पर स्कूल से बच्चों को निकालने की धमकी दी जाती है तो वही वर्चुअल क्लास में भी बच्चों को पढ़ाया नहीं जाता।

ऐसे में पालकों के बीच एक तरफ गड्ढा एक तरफ खाई वाली स्थिति बनी हुई है जिसको देखते हुए भूपेश सरकार ने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किया और आज उसका परिणाम भी यह है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फीस नियामक आयोग का गठन किया जो कार्य पिछले 15 सालों में भाजपा की सरकार नहीं कर पाई उसे कांग्रेस सरकार ने विधानसभा सत्र में पारित कर एक अनूठी मिसाल पेश की है।

लेकिन इसी बीच इस मामले को लेकर पक्ष विपक्ष में एक बार फिर घमासान जारी है जहां भाजपा बार-बार भूपेश सरकार पर उंगली उठाने से बाज नहीं आ रही तो वहीं दूसरी ओर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव शुक्ला ने भाजपा सरकार पर उंगली उठाते हुए निजी स्कूलों और भाजपा सरकार के बीच सांठगांठ होने की बात कही। संजीव शुक्ला ने कहा कि निजी स्कूलों पर भाजपा की मेहरबानी क्यों? आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है।

वहीं कुछ निजी स्कूलों के संचालक कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन का भुगतान भी नहीं करते और इसके लिए अब उनके पास एक रटा रटाया बहाना है कि जब तक बच्चों के पालक फीस नहीं देंगे तो हम कर्मचारियों को पैसे कैसे देंगे ऐसे में जो भी स्कूल के कर्मचारी और शिक्षक हैं


वह भी अपनी शिकायत गुप्त पत्र माध्यम से सरकार से कर सकते हैं बता दें कि सरकार द्वारा बार-बार निजी स्कूलों को फीस नहीं लेने की चेतावनी देने के बाद भी कुछ निजी स्कूल ऐसे हैं


जो बच्चों का एडमिशन फीस भी वसूल चुके हैं ऐसे में जो भी पालक हैं जिन्होंने बच्चों का स्कूल फीस चाहे वह एडमिशन के लिए ही क्यों न दिया गया हो भुगतान किया है तो फीस के बिल के साथ आप अपनी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी या सीधे मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से कर सकते 

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