कोरोना महामारी से बिगड़े हालात सामान्य होने के बाद फिर खुलेगा करतारपुर कॉरिडोर


Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : सीमा पार से खबर आई है कि भारत के करोड़ों सिख श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान देते हुए पाकिस्तान को जोड़कर बना करतारपुर कॉरिडोर जल्द ही एक बार फिर खुल सकता है। हालांकि अभी कोरोना की महामारी के थोड़ा नियंत्रण में आने का इंतजार किया जा रहा है। यह पुष्टि शनिवार को पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से हुई है। पाक मीडिया के मुताबिक कहा जा रहा है कि एक बार जब कोविड-19 की स्थिति में थोड़ा सुधार आ जाएगा तो उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर गलियारा खोल दिया जाएगा। एख बार स्थिति में सुधार आने के बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।

दरअसल, भारत में कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए 15 मार्च को करतारपुर कॉरिडोर को बंद करने का फैसला लिया गया था। पहले इसे 31 मार्च तक बंद किया गया था, लेकिन बाद में अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने का फैसला किया गया। हालांकि 29 जून को शेर-ए-हिंदुस्तान महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर पाकिस्तान की तरफ से कॉरिडोर को खोलने की बात कही गई थी। उस वक्त भारत सरकार ने इसे छलावा करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया था।

तीन महीने पहले इस बिनाह पर खारिज हुआ था पाकिस्तान का दावा

दरअसल, करीब तीन महीने पहले करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की बात करके पाकिस्तान खुद को दोस्ती और अमन का पैरोकार साबित करने की साजिश रच रहा था। 27 जून को करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ऐलान करता है। इसके लिए सिर्फ दो दिन का वक्त देता है, जबकि दोनों देशों के बीच समझौते के तहत यह तय है कि किसी भी यात्रा के लिए कम से कम 7 दिन पहले एक-दूसरे को जानकारी देनी होगी। समझौते के तहत पाकिस्तान को अपनी तरफ बहने वाली रावी नदी पर ब्रिज बनाना था, लेकिन उसने नहीं बनाया।

गुरु नानक देव से जुड़ा करतारपुर गुरुद्वारे का इतिहास

पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल से भी पुराना है। मान्यता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे। लाहौर से करतारपुर साहिब की दूरी 120 किलोमीटर है तो गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है।

दोनों देशों की सरकारों के प्रयासों से बना था कॉरिडोर

भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था। करतारपुर कॉरिडोर की नींव 2018 में रखी गई थी। भारत में 26 नवंबर को और पाकिस्तान में 28 नवंबर को शिलान्यास किया गया था। इसके बाद गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।

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