रिपोर्ट मनप्रीत सिंग

गौरतलब है कि जोगी बीते 84 घंटे से कोमा में हैं। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा है और साँस दी जा रही है। हालत अभी गंभीर बना हुआ है। जोगी को तीन दिन पहले घर पर गंगा इमली खाते वक्त कार्डियक अरेस्ट आया था। जोगी के गले में इमली का बीज फँस गया था। इससे उनकी साँस कुछ देर के लिए रुक गई थी। स्वांस नली में बीज फंसने से तबियत बिगड़ गई थी।
डॉक्टरों का कहना है कि अजीत जोगी बेहद जीवट व्यक्ति हैं। उन्होंने कई बार मौत को मात दी है। संघर्ष कर प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही क्षेत्र में ऊंचाई पर पहुंचे। अस्पातल में बहुत ही गंभीर स्थिति में भर्ती होने के बाद भी वे ज़िंदगी और मौत की जंग में जीतकर लौंटते रहे हैं। उनके लिए फिर से एक बाद ज़िंदगी और मौत के बीच संघर्ष की स्थिति है। उनके स्वास्थ्य की कामना को लेकर लगातार दवाओं के साथ दुवाओं का दौर भी चल रहा है।
वर्ष 2004 में महासमुन्द संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे जोगी का चुनाव प्रचार के दौरान गरियाबंद जिले के जंगली रास्ते में जबरदस्त एक्सीडेंट हुआ था। तब से वे व्हील चेयर पर हैं।
तब जोगी ने कहा था-
" पहाड़ों का सफर था, सीसे का बदन था।
जिंदा लौट आया हूँ, आपकी दुवाओं का असर था।"